लोकसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया है जिसमें पार्टी ने जीतने पर राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भूमिका बनाने और राज्यपाल की ताकत कम करने को लेकर वादा किया है. अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स लिखता है कि भारत के इतिहास में ये अभूतपूर्व है कि किसी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में राज्यपाल की ताकत कम करने के जुड़ा वादा किया है. अख़बार लिखता है कि ये संघीय ढांचे के बिगड़ते जाने का संकेत है.
माना जा रहा है कि राज्यपाल आरएन रवि के साथ बार-बार विवाद होने के कारण पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इस वादों को जगह दी है. दोनों के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. पार्टी का आरोप है कि राज्यपाल बीजेपी के नुमाइंदे के तौर पर काम कर रहे हैं. हालांकि डीएमके के अलावा गैर बीजेपी शासित प्रदेशों की सरकारें भी राज्यपाल पर इसी तरह के आरोप लगाती रही हैं.
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