इदौर। राधा स्वामी सत्संग ब्यास के अनुयायियों के लिए खुशी की खबर है कि अब इस सत्संग से वीआईपी कल्चर पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। जल्द ही इदौर और व्यावरा में होने वाले सत्संग पर इसका असर दिखेगा। इस कदम का उद्देश्य संगत में सभी को समान महत्व देना और आध्यात्मिक एकता को प्रोत्साहित करना है।
बताया जाता है कि पहले सत्संग के दौरान वीआईपी व्यक्तियों के लिए बैठने की विशेष व्यवस्था रहती थी और इसके लिए पास जारी किए जाते थे। अब यह व्यवस्था पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। नए नियमों के अनुसार, सभी श्रद्धालु एक साथ बैठेंगे। इस ऐतिहासिक फैसले से डेरा ब्यास के करोड़ों श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है। श्रद्धालुओं ने इसे एक सराहनीय कदम बताया है, जो आध्यात्मिक संगठन के सिद्धांतों के अनुरूप है। संगत का कहना है कि यह बदलाव सभी को समानता और एकजुटता का अनुभव कराएगा।
जसदीप सिंह गिल के आने के बाद फैसला
पिछले साल 2 अगस्त 2024 को राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने अपने नए उत्तराधिकारी के रूप में जसदीप सिंह गिल की घोषणा की थी। वे संगठन के पूर्व प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों की जगह लेकर आध्यात्मिक नेतृत्व संभाल रहे हैं। जसदीप सिंह गिल के संगठन का कार्यभार संभालने के बाद यह बड़ा फैसला लिया गया है। डेरा ब्यास के इस निर्णय ने न केवल संगत में उत्साह बढ़ाया है, बल्कि समाज में समानता और सादगी का संदेश भी दिया है। यह निर्णय राधा स्वामी सत्संग ब्यास के आध्यात्मिक मूल्यों को और मजबूत करता है और समाज में समानता और एकता का संदेश फैलाने का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इंदौर और व्यावरा में दिखेगा नए फैसले का असर
बताया जाता है कि शीघ्र ही इंदौर और व्यावरा में सत्संग का आयोजन होने जा रहा है। इस नए फैसला का असर इन दोनों आयोजनों पर दिखेगा। अकेले इंदौर में ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर सत्संग में भाग लेते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसे समय जबकि सभी धार्मिक स्थलों तथा आयोजनों में वीआईपी कल्चर बढ़ता जा रहा है, यह फैसला ऐतिहासिक है।
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