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पं. गजेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य, इंदौर
मां का आगमन हस्त नक्षत्र और इंद्र योग में हो रहा है। जो सुख समृद्धि प्रदान करने वाला है। गुरुवार से नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रहीं हैं। इस योग में की गई स्थापना और प्रारंभ की गई देवी आराधना का सार्थक फल साधक को प्राप्त
इंदौर। इस बार मां का आगमन हस्त नक्षत्र और इंद्र योग में हो रहा है। जो सुख समृद्धि प्रदान करने वाला है। गुरुवार से नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रहीं हैं। इस योग में की गई स्थापना और प्रारंभ की गई देवी आराधना का सार्थक फल साधक को प्राप्त होता है। आज से 9 दिनों तक शुद्ध चित्त से देवी साधना करें आपके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। इस बार नवरात्रि में अनेक विशिष्ट योग भी बन रहें हैं जो आपकी साधना को बल देंगे।
नवरात्रि के प्रथम दिन यानी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना कर मां दुर्गा का आह्वान करते हैं। उसके बाद नवरात्रि की पूजा शुरू होती है। बसे पहले नवरात्रि व्रत और मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लें। गणेश जी का ध्यान कर पूजा स्थान पर ईशान कोण में एक लकड़ी के पटिए पर कलश स्थापना करें। पटिए पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर धान रखें। कलश के गर्दन पर रक्षासूत्र लपेट कर तिलक लगा दें। कलश में पानी के साथ गंगाजल भी डालें। फिर अक्षत, फूल, सुपारी, सिक्का, दूर्वा, हल्दी, चंदन आदि डाल कर आम के पत्ते ऊपर रखकर कलश का ढक्कन लगा दें। कलश के ढक्कन को अक्षत से भरने के बाद उस पर रक्षासूत्र लपेटा नारियल रख दें। इसका बाद गणेश जी, वरुण देव के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा कर मां दुर्गा की अराधान शुरू कर दें। कलश के पास मिट्टी में जौ डाल दें। माना जाता है कि जौ से जितना हरा-भरा पौधा निकलता है उतनी ही सुख-समृद्धि आती है।
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। शैल का अर्थ होता है हिमालय और पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है। श्रद्धा और विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां शैलपुत्री का रूप बेहद शांत, सरल, सुशील और दया से भरा है। मां के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। वह नंदी नामक बैल पर सवार होकर पूरे हिमालय पर विराजमान हैं। मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद रंग का बहुत महत्व है। माता को प्रसन्न करने के लिए सफेद फूल, वस्त्र और मिठाई चढ़ाना चाहिए।
इत्र से करें देवी आराधना
मां दुर्गा को इत्र बहुत पसंद होता है। इसलिए प्रत्येक साधक को इस नवरात्रि के दौरान देवी को इत्र जरूर अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही देवी को मीठा पान जरूर भेंट करें।
घट स्थापना मुहूर्त
शारदीय नवरात्र प्रारंभ 3 अक्टूबर 2024
संवत 2081, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ : 3 अक्टूबर रात्रि 00.18 से
प्रतिपदा तिथि पूर्ण : 4 अक्टूबर रात्रि 2:57
मुहूर्त
कन्या लग्न मुहूर्त : प्रात: 6:19 से 7:22, अवधि 1 घंटा 3 मिनट
अभिजित मुहूर्त : प्रात: 11:52 से दोप 12:39, अवधि 48 मिनट
चर : प्रात: 10:47 से दोप 12:15
लाभ : दोप 12:15 से 1:44
अमृत : दोप 1:44 से 3:13
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